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Valentine Special: अचानक उसका फोन उसकी प्रेमिका के संदेश से कांप उठा. उसने लिखा था. ‘दवा क्यों नही लिया आपने. अपने लिये ना सही मेरे लिए तो खा लेते.’ उसके बाद आंसू से भरी दो इमोजी. वो दोनों एक दूसरे को कितना चाहते थे. इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता हैं. इश्क के स्कूल थे वे. कमाल की बात ये है की बचपन से वो दोनों साथ पढ़ते, साथ खेलते, साथ रहते. कब साथी बन इश्क में उतर गए उससे वो खुद अंजान थे. लेकिन उतने ही एक दूसरे के करीब.
कॉपी के एक पन्ने पर उकेरा प्रेम पत्र वो एक दूसरे को जमाने से छुपा के देते थे. शायद उनके अंदर ये डर सदैव रहता कि कही उनके निस्वार्थ प्रेम को किसी की नज़र न लग जाए. इश्क होता भी यही है न एक दूसरे के अंदर उतर जाता है. लेकिन किसी तीसरे से डर जाता है. दोनों की जिंदगी अपने रफ्तार से चल रही थी. साथ जीने मरने, जन्म-जन्म तक एक दूसरे के साथ रहने और न जाने कितने वादे किये थे उन दोनों ने.
तयसुदा वक़्त की वसूल निभाते बड़ रही थी उनकी जिंदगी. सपने जाग रहे थे. उनके ख्वाबों में नजर आ रहे थे कुछ और ही रंग. और रंग भरे हो गए थे मौसम और मौसम का तो एक ही रंग होता है दिल की वादियों में मोहब्बत का, इश्क का. उनकी नींद हाथों में ख्वाबों की डोर थाम कर उड़ रही थी. मानो कोई पतंग हो. उड़े थे दोनों इश्क के आकाश में बिना किसी संकोच के. लेकिन किस्मत को कहां मंजूर था उनका हर पल एक दूसरे के साथ रहना. तभी तो अभी कस्ती बीच भवँर में ही थी और आ गया तूफान.
तमाम उनके वादे, सपने, बिखर गए. ऐसे कुछ जैसे हाथ से छूटने के बाद बिखर जाता है काँच. बीच रास्ते मे न चाहते हुए भी वो जुदा हो गए एक दूसरे से. पता नहीं वो दोनों कब मिलेंगे या शायद फिर कभी नही मिलेंगे. ये तो पता नहीं लेकिन अब वे उस एहसास से कभी नही मिलेंगे जैसे पहले मिला करते थे. क्योंकि उसकी प्रेमिका किसी और के बंधन में बंध गई है. उसके घर वालो ने उनदोनों को बस इस वजह से एक नही होने दिया की जमाना क्या कहेगा. आज भी जिस देश के गांवों या छोटे शहरों में लड़के/लड़किया का प्यार करना तो दूर. एक दूसरे से बात नही कर सकते. क्या उस देश मे वेलेंटाइन वीक का ज़िक्र करना बेईमानी नही होगा.